38. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_8.28–9.02

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Religious Studies

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Abhay Ram Das

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1.

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2.

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कृपया यहाँ पर अपनी आयु लिखें ।

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3.

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कृपया यहाँ पर अपना मोबाईल नं0 लिखें ।

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4.

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कृपया यहाँ पर अपना पता लिखें ।

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5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक संख्या 8.28 का क्या महत्व है ?

यह श्लोक सातवें तथा आठवें अध्याय का उपसंहार है । जिनमें कृष्णभावनामृत तथा भक्ति का विशेष वर्णन है ।

यह श्लोक केवल आठवें अध्याय का उपसंहार है । क्योंकि यह श्लोक आठवें अध्याय का अंतिम श्लोक है ।

यह श्लोक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है ।

यह श्लोक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे मोक्षदा एकादशी में कहा गया है ।

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

केवल मात्र भक्ति योग के अनुशीलन से एक भक्त को अन्य योग पद्धतियों जैसे कि वेदाध्ययन, तपस्या, दान, दार्शनिक तथा सकाम कर्म आदि के फल कैसे प्राप्त हो सकते हैं ?

क्योंकि कृष्णभावनामृत युक्त भक्ति ही योग की पूर्ण विधि है । जिसमें अन्य समस्त योग पद्धतियों के फल सन्निहित रहते हैं ।

क्योंकि कृष्णभावनामृत युक्त भक्ति के अनुशीलन के फलस्वरूप एक भक्त को उसके पूर्वजन्मों में उसके द्वारा अनुपालित अन्य योग विधियों के समस्त फल पुनः प्राप्त हो जाते हैं ।

क्योंकि कृष्णभावनामृत युक्त भक्ति अन्य योग पद्धतियों के फलों को पूर्ण रूप में प्रदान करती है ।

यह सभी कथन सत्य हैं ।

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

1 min • 1 pt

मनुष्य को वेदाध्ययन, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास तथा संबंधित अनुष्ठान आदि को किसके निर्देशन में क्रियान्वित करना होता है ?

प्रमाणिक गुरु के निर्देशन में ।

स्वयंभू गुरु के निर्देशन में ।

माता-पिता की निर्देशन में ।

सहचरों के निर्देशन में ।

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