अठारहवीं सदी की शुरुआत में यूरोप में भारतीय कपड़े की इतनी अधिक मांग थी कि इंग्लैंड के रईस ही नहीं, बल्कि खुद महारानी भी भारतीय कपड़ों से बने परिधान पहनती थीं। अतः कथन 1 सही है।
मसालों की तलाश में आए पुर्तगालियों ने सबसे पहले केरल के कालीकट में डेरा डाला और यहाँ से वे मसालों के साथ सूती कपड़ा भी ले गए। इस सूती कपड़े को उन्होंने कैलिको कहा जो बाद में हर तरह के सूती कपड़े के लिये प्रयोग किया जाने लगा।
भारतीय कपड़े की लोकप्रियता से इंग्लैंड के ऊन और रेशम व्यापारी बेचैन थे जिनके दबाव में 1720 में ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड में छापेदार सूती कपड़े के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने के लिये एक कानून पारित कर दिया। संयोगवश इस कानून को भी कैलिको अधिनियम ही कहा जाता था। अतः कथन 2 भी सही है।
कथन 3 गलत है, क्योंकि बंडाना शैली के कपड़े अधिकांशतः राजस्थान और गुजरात में बनाए जाते थे। बंगाल में स्थित ढाका और संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) स्थित लखनऊ जामदानी बुनाई के सबसे
महत्त्वपूर्ण केंद्र थे। ढाका अठारहवीं सदी में सबसे महत्त्वपूर्ण कपड़ा उत्पादन केन्द्र था। पटोला बुनाई सूरत, अहमदाबाद और पाटन में होती थी।