Bhagavad Gita As It Is DAY-19 (4.20-29)

Bhagavad Gita As It Is DAY-19 (4.20-29)

KG - Professional Development

20 Qs

quiz-placeholder

Similar activities

Bhagavad Gita As It Is DAY-12 (2.65-72, 3.1-2)

Bhagavad Gita As It Is DAY-12 (2.65-72, 3.1-2)

KG - Professional Development

22 Qs

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 49-50)

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 49-50)

KG - Professional Development

22 Qs

Bhagavad Gita As It Is DAY-08 (2.25-34)

Bhagavad Gita As It Is DAY-08 (2.25-34)

KG - Professional Development

23 Qs

Bhagavad Gita As It Is DAY-11 (2.55-64)

Bhagavad Gita As It Is DAY-11 (2.55-64)

KG - Professional Development

15 Qs

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 31-32)

Kṛṣṇa Book Practice Quiz (Chapter 31-32)

KG - Professional Development

17 Qs

Bhagavad Gita As It Is DAY-21 (4.40-42, 5.1-7)

Bhagavad Gita As It Is DAY-21 (4.40-42, 5.1-7)

KG - Professional Development

18 Qs

Bhagavad Gita As It Is DAY-03 (1.21-30)

Bhagavad Gita As It Is DAY-03 (1.21-30)

KG - University

20 Qs

ENGINE TEST

ENGINE TEST

Professional Development

21 Qs

Bhagavad Gita As It Is DAY-19 (4.20-29)

Bhagavad Gita As It Is DAY-19 (4.20-29)

Assessment

Quiz

Life Skills, Philosophy, Special Education

KG - Professional Development

Easy

Created by

Keśava Kṛṣṇa Dāsa

Used 35+ times

FREE Resource

20 questions

Show all answers

1.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

सभी प्रकार के कार्यों में व्यस्त रहकर भी शुभ-अशुभ कर्मफलों से मुक्त रहना कैसे संभव है? (4.20)

भगवान् के शुद्ध प्रेमवश होकर हर कार्य कृष्ण के लिए करे

जब उसे कर्मफलों के प्रति कोई आकर्षण नहीं रहता

अपने शरीर-निर्वाह के प्रति भी कोई आकर्षण नहीं रहता

वह अपनी पूर्ण सामर्थ्य से अपना कर्तव्य करता है

वह पूर्णतया कृष्ण पर आश्रित रहता है

2.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

विकर्म का क्या असली रूप है? (4.20)

कृष्णभावनामृत से रहित कोई भी कार्य

व्यक्ति न तो किसी वस्तु को प्राप्त करना चाहता है

व्यक्ति न अपनी वस्तुओं की रक्षा करना चाहता है

हर कार्य कर्ता पर बन्धनस्वरूप होता है

व्यक्ति शुभ-अशुभ कर्मफलों से मुक्त रहता है

3.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

कृष्णभावनाभावित व्यक्ति किस प्रकार कर्म करता है? (4.21)

पूर्णरूप से असंयमित मन तथा बुद्धि से कार्य करता है

अपनी सम्पत्ति के सारे स्वामित्व को त्याग देता है

केवल शरीर के सतत आनंद के लिए कर्म करता है

भगवदिच्छा की परवाह नहीं करता

अपने प्रयासों के फलों के प्रति उत्सुक रहता है

4.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

कैसा व्यक्ति कर्म करता हुआ भी कभी बँधता नहीं? (4.22)

जो स्वतः होने वाले लाभ से संतुष्ट रहता है

शरीर-निर्वाह के लिए भी अधिक प्रयास नहीं करता

जो द्वन्द्व से मुक्त है और ईर्ष्या नहीं करता

वह न तो माँगता है, न उधार लेता है

कृष्ण के लिए कोई भी कर्म करने से झिझकता नहीं

5.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

पूर्णरूपेण कृष्णभावनाभावित मनुष्य समस्त द्वन्द्वों और भौतिक गुणों के कल्मष से कैसे मुक्त हो जाता है? (4.23)

वह कृष्ण के साथ अपने सम्बन्ध की स्वाभाविक स्थिति को जानता है, फलस्वरूप उसका चित्त कृष्णभावनामृत से विचलित नहीं होता

वह जो कुछ भी करता है, वह आदिविष्णु कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए होता है

यज्ञमय कर्म का फल निश्चय ही ब्रह्म में विलीन हो जाता है और मनुष्य को कोई भौतिक फल नहीं भोगना पड़ता है

6.

MULTIPLE SELECT QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

इनमें से गलत चुनें | (4.24)

माया द्वारा आच्छादित परमसत्य = पदार्थ

यज्ञ = कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए किये गये कार्य

ब्रह्म = भौतिक

भगवान् के दिव्य शरीर की किरणें = ब्रह्मज्योति

कृष्णभावनामृत में पूरी तरह निमग्न मन = समाधि

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

5 mins • 1 pt

Media Image

भगवद्गीता के चतुर्थ अध्याय का नाम क्या है?

कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण

गीता का सार

कर्मयोग

दिव्य ज्ञान

Create a free account and access millions of resources

Create resources
Host any resource
Get auto-graded reports
or continue with
Microsoft
Apple
Others
By signing up, you agree to our Terms of Service & Privacy Policy
Already have an account?