28. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_6.40–6.47

28. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_6.40–6.47

University

44 Qs

quiz-placeholder

Similar activities

52.भगवद गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_11.48–11.56

52.भगवद गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_11.48–11.56

University

42 Qs

54.भगवद गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_12.07–12.14

54.भगवद गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_12.07–12.14

University

39 Qs

41. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_9.13–9.18

41. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_9.13–9.18

University

45 Qs

Basic Jain Quiz

Basic Jain Quiz

KG - Professional Development

40 Qs

28. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_6.40–6.47

28. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_6.40–6.47

Assessment

Quiz

Religious Studies

University

Medium

Created by

Abhay Ram Das

Used 5+ times

FREE Resource

44 questions

Show all answers

1.

OPEN ENDED QUESTION

1 min • 1 pt

कृपया यहाँ पर अपना नाम लिखें ।

Evaluate responses using AI:

OFF

2.

OPEN ENDED QUESTION

30 sec • 1 pt

कृपया यहाँ पर अपनी आयु लिखें ।

Evaluate responses using AI:

OFF

3.

OPEN ENDED QUESTION

1 min • 1 pt

कृपया यहाँ पर अपना मोबाईल नं0 लिखें ।

Evaluate responses using AI:

OFF

4.

OPEN ENDED QUESTION

2 mins • 1 pt

कृपया यहाँ पर अपना पता लिखें ।

Evaluate responses using AI:

OFF

5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

श्लोक संख्या 6.40 में वर्णित कल्याण-कार्य से आपका क्या अभिप्राय है ?

कृष्णभावनामृत के विकास हेतु किये जाने वाले कार्य ही कल्याण-कार्य होते हैं।

इस भवबंधन से मुक्ति प्राप्त करने के लिए किये जाने वाले कार्य ही कल्याण-कार्य होते हैं।

उच्चलोक अथवा स्वर्गलोक की प्राप्ति हेतु किये जाने वाले कार्य ही कल्याण-कार्य होते हैं।

अन्यों की भलाई हेतु किये जाने वाले परोपकारी कार्य ही कल्याण-कार्य होते हैं।

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

योगी के प्रयासों की इनमें से किस परिस्थिति में "न तो क्षति होती है और न ही पतन होता है ?"

जब योगी समस्त भौतिक इच्छाओं को त्यागकर भगवान् श्रीकृष्ण की शरण ग्रहण कर लेता है।

जब योगी मृगछाला पर बैठकर योगसाधना के अभ्यास में निरत रहने का प्रयास करता है।

जब योगी अपने नियत कर्मों को त्यागकर, सांसारिक मोह-माया से दूर एकान्त स्थान में जाकर योगाभ्यास करता है।

जब योगी ज्ञानयोग की साधना में असफल होकर पुनः भौतिक भोग में लिप्त हो जाता है।

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

कृष्णभावनामृत में उन्नति के लिए एक योगी को निम्न में से क्या करना होता है ?

भौतिक कार्यकलापों - भौतिक भोग की इच्छाओं, आसक्तियों, आकर्षणों का परित्याग करना होता है।

भौतिक कार्यकलापों - नियत कर्मों, स्वधर्मों, परिवारजनों का परित्याग करना होता है।

भौतिक कार्यकलापों - पुण्य कर्मों, परोपकारी कर्मों, धार्मिक अनुष्ठानों का परित्याग करना होता है।

भौतिक कार्यकलापों - वैदिक शास्त्रों के विधि विधानों के पालन, ज्ञान, योग, तपस्या का परित्याग करना है।

Create a free account and access millions of resources

Create resources

Host any resource

Get auto-graded reports

Google

Continue with Google

Email

Continue with Email

Classlink

Continue with Classlink

Clever

Continue with Clever

or continue with

Microsoft

Microsoft

Apple

Apple

Others

Others

By signing up, you agree to our Terms of Service & Privacy Policy

Already have an account?