7. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_2.21 – 2.32

7. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_2.21 – 2.32

University

51 Qs

quiz-placeholder

Similar activities

Chhattisgarh GK1

Chhattisgarh GK1

University

50 Qs

QUIZ FOR HINDI PAKHWADA

QUIZ FOR HINDI PAKHWADA

6th Grade - University

51 Qs

04 अनेक शब्दों के लिए एक शब्द003

04 अनेक शब्दों के लिए एक शब्द003

University

50 Qs

श्री हनुमान कोचिंग इंस्टिट्यूट टेस्ट 6

श्री हनुमान कोचिंग इंस्टिट्यूट टेस्ट 6

University

50 Qs

7. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_2.21 – 2.32

7. श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप_प्रश्नोत्तरी श्रृंखला_2.21 – 2.32

Assessment

Quiz

Other

University

Medium

Created by

Abhay Ram Das

Used 8+ times

FREE Resource

AI

Enhance your content

Add similar questions
Adjust reading levels
Convert to real-world scenario
Translate activity
More...

51 questions

Show all answers

1.

OPEN ENDED QUESTION

1 min • 1 pt

कृपया यहाँ अपना नाम लिखें ।

Evaluate responses using AI:

OFF

2.

OPEN ENDED QUESTION

30 sec • 1 pt

कृपया यहाँ अपनी उम्र लिखें ।

Evaluate responses using AI:

OFF

3.

OPEN ENDED QUESTION

45 sec • 1 pt

कृपया यहाँ अपना मोबाइल न० लिखें ।

Evaluate responses using AI:

OFF

4.

OPEN ENDED QUESTION

2 mins • 1 pt

कृपया यहाँ अपना पता लिखें ।

Evaluate responses using AI:

OFF

5.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक संख्या 2.21 के अनुसार, आत्मा विषयक ज्ञान प्राप्त करने के उपरान्त मनुष्य विनम्र क्यों हो जाता है ?

क्योंकि उसे ज्ञात हो जाता है कि इच्छाएँ हम जीवात्माएँ करते हैं न कि ये भौतिक शरीर । और जीवात्मा तो अविनाशी, अजन्मा, शाश्वत तथा अव्यय है ।

अन्य जीवात्माओं से भय के कारण ।

अन्य जीवात्माओं से विरोध के कारण ।

अन्य जीवात्माओं से प्रतिस्पर्धा के कारण ।

6.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

भगवान् श्रीकृष्ण श्लोक संख्या 2.21 के द्वारा अर्जुन के युद्ध न करने के लिए दिए गये किस तर्क का खण्डन करते हैं ?

श्लोक संख्या 1.36 में, अर्जुन के मतानुसार युद्ध में होने वाले अनावश्यक नरसंहार प्रत्युत्पन्न पापकर्म ।

श्लोक संख्या 1.39 में, अर्जुन के मतानुसार युद्ध में होने वाले अनावश्यक नरसंहार से कुल-परम्परा का नाश हो जाना ।

श्लोक संख्या 1.40 में, अर्जुन के मतानुसार युद्ध में होने वाले अनावश्यक नरसंहार से कुलस्त्रियों का दूषित हो जाना ।

श्लोक संख्या 1.41 में, अर्जुन के मतानुसार युद्ध में होने वाले अनावश्यक नरसंहार से पिण्डोदक क्रिया का लुप्त हो जाना ।

7.

MULTIPLE CHOICE QUESTION

2 mins • 1 pt

एक सैनिक सीमा की सुरक्षा के लिए शत्रुओं का संहार करता है तो उसे दण्डित नहीं अपितु सम्मानित किया जाता है, यदि वही सैनिक स्वहित के लिए किसी की हत्या कर देता है तो उसे दण्डित क्यों किया जाता है ?

ताकि अगले जीवन में उसे अपना यह पापकर्म न भोगना पड़े ।

ऐसे सैनिक को वर्णाश्रम धर्म का पालन करने के कारण दण्डित किया जाना न्यायोचित (Justifiable) नहीं है ।

क्योंकि स्वहित के लिए हत्या भौतिक एवं वैदिक दोनों ही विधियों में निषिद्ध (Forbidden) अर्थात् यह पापकर्म है ।

क्योंकि सैनिक के ऐसा करने से जीवात्माओं के शुद्धिकरण (Purification) की गति तीव्र हो जाती है ।

Create a free account and access millions of resources

Create resources

Host any resource

Get auto-graded reports

Google

Continue with Google

Email

Continue with Email

Classlink

Continue with Classlink

Clever

Continue with Clever

or continue with

Microsoft

Microsoft

Apple

Apple

Others

Others

By signing up, you agree to our Terms of Service & Privacy Policy

Already have an account?